मुझे सही से नहीं पता कि क्यों जब भी हम पुराने मंदिर पिरामिड या सिर्फ गुफाओं को देखते हैं तो हमें हमेशा इतिहास याद आता है हम अपने दिमाग में ही यह सोचने लग जाते हैं कि इनको कैसे बनाया गया होगा। आज भी पूरी दुनिया यह समझ नहीं पाई है कि हमारे पूर्वजों ने कैसे इतने सालों पहले बिना किसी तकनीकी सहायता के ऐसे गजब के नमूने बना डाले। जिनको हम आज भी नहीं बना सकते। कुछ लोग कहते हैं कि इन्हें बनाने में दशको या फिर शतकों का समय लगा होगा। चलिए जो भी हुआ हो वह हम फिर कभी पता लगाएंगे लेकिन ना सिर्फ इतिहास में लोग ऐसी चीजें बनाते थे बल्कि आज भी लोग इसी तरह की कला के शौकीन हैं और इसी के बारे में आज आप मेरी एक कहानी सुनने वाले हैं। आज आप देखेंगे कि कैसे एक साधारण से गांव में रहने वाले एक आदमी ने कैसे अपने सिर्फ हाथों का इस्तेमाल करके एक ऐसी कला तैयार की जिसे दुनिया देखते ही दंग रह गई। इसे अंडरग्राउंड एंटीक स्टाइल मे सिटी के नाम से भी जाना जाता है। ये सब उन्होंने अपने बेसमेंट में तैयार किया। तो चलिए लेवोन से मिलिए। एक ऐसा आदमी जिन्होंने अपनी बेसमेंट में एक अलग ही दुनिया बना रखी है। और यह सब उन्होंने अपने ज्ञान से संभव किया लेकिन इन सबके बीच में एक सबसे खास बात यह थी कि उन्होंने यह सब बिना किसी खास तकनीक की सहायता के किया।
जी हां उन्होंने इसके लिए कोई भी खास मशीनें इस्तेमाल नहीं करी। उनकी इच्छा और उनके सपने उनके साथ थे। जी हां एक ऐसा सपना कुछ ऐसा बनाने का जिसे पूरी दुनिया याद रखें और जैसा कि आमतौर पर होता आया है यह सब भी बहुत अजीब तरीके से शुरू हुआ। सन 1985 का यह एक आम दिन था। और उस दिन 44 साल के लेवोन ने अपने घर के नीचे कुछ और काम ना देखते हुए खुदाई करनी शुरू करी। असल में ऐसा काम करने के लिए उनकी पत्नी ने ही उन्हें बार बार बोला था। लेकिन उन्हें टाइम नहीं मिल रहा था उन्होंने बस अपनी पत्नी के कहने पर आलस भरा शरीर के साथ यह काम करना शुरू किया। वह धीरे-धीरे खुदाई कर रहे थे और तभी उनको एक पत्थर वहां जमीन में मिला। लेवोन उस पत्थर पर खुदाई करने लगे लेकिन वह पत्थर इतना मजबूत था की वो उसे काट नहीं पाए। जिसके बाद उन्होंने अलग दिशा में खुदाई करनी शुरू कर दी। लेकिन दोबारा से उनको अपने पावों के नीचे पत्थर मिला और यह बार-बार होता गया। जिसके बाद लेवोन ने फिर से अपनी दिशा बदली और यहां पर वह आगे खुदाई करते चले गए देखते ही देखते उन्होंने अच्छी खासी सुरंग खोद डाली। जिसके बाद उन्होंने सोच लिया कि वो इसी सुरंग के आगे अलग दुनिया बनाएंगे।
उन्हें इस तरह से खुदाई करने में इतना मजा आने लगा था कि अब उन्होंने इसे ही अपनी जिंदगी बना लेने का फैसला किया। उनकी पत्नी ने कहा था कि जिस दिन से उनके पति ने खुदाई करनी शुरू कर दी थी उस दिन के बाद से वह एक अलग इंसान बन गए। 1 दिन भी ऐसा नहीं बीता जब उन्होंने खुदाई रोकी हो। लेवोन को भी अपने दोस्तों के साथ इधर-उधर घूमना बहुत पसंद था। लेकिन इस काम में पड़ने के बाद उन्होंने भी वो बंद कर दिया। उनके द्वारा सुरंग से आगे बनाया गया एक कमरा अब इतना बड़ा बन चुका था। जिसमें वह अपना अच्छा सामान रख सकते थे। उनकी पत्नी ने अब उन्हें रुक जाने के लिए कहा। लेकिन वहां पर नहीं रुके जिसके बाद समय बीता और देखते ही देखते उन्होंने उस बेसमेंट में अपनी खुद की ही एक दुनिया बनानी शुरू कर दी। पूरा एक साल बीत गया और उसके बाद ना जाने कितने और लेकिन लेवोन ने अपना काम जारी रखा। उन्होंने प्साल्ट की कठोर चट्टानों को काटा वो भी सिर्फ एक हथौड़े और छेनी की सहायता से। हम सब को पता है कि पेसाल्ट जैसे चट्टानों के साथ काम करना कितना मुश्किल काम होता है लेकिन लेवोन ने अपनी इस दुनिया में दीन के 17 घंटे काम किया लेकिन इन घंटों में भी काम करते हुए वो पेसाल्ट की चट्टान में 7 सेंटीमीटर से ज्यादा खुदायी नहीं कर पाए। लेकिन पता नहीं क्यों पर जब उनके सामने मुश्किल काम आता उनकी काम करने की रफ्तार और तेज हो जाती।
समय बीतने के साथ-साथ उनकी बेसमेंट में और ज्यादा कमरे शामिल होते गए। उनकी पत्नी ने कहा कि उन्होंने तो ऐसा कभी सोचा भी नहीं था कि उनके पति एक बेसमेंट खोदने की रिक्वेस्ट पर एक पूरा शहर ही खोद डालेंगे और ये शहर उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट बन कर सामने आएगा। कुछ साल और इस काम में बीत गए और अब उनकी पत्नी उनसे हाथ जोड़कर ये रिक्वेस्ट कर रही थी कि वह अब और खुदाई ना करें क्योंकि यह काम करते हुए उनकी तबीयत कई बार खराब हो चुकी थी। जरा सोच कर देखिए लेवोन अपने पूरे दिन में सिर्फ 4 घंटे सोते और इससे भी ज्यादा हैरान कर देने वाली बात यह थी कि वह ज्यादातर 2 दिन में एक बार ही खाना खाते थे। अपने पति को ना सुनता देख और उनकी इच्छा के आगे उनकी पत्नी हार गई और उन्होंने भी लेवोन को अब रोकना बंद कर दिया अब जहां उनकी पत्नी लेवोन को समझने की कोशिश कर रही थी वही उनके पड़ोसी और उनके दोस्त यह समझ ही नहीं पा रहे थे कि लेवोन करना क्या चाहते हैं। सभी ने उसे नोहा के साथ कंपेयर करना शुरू कर दिया। क्योंकि नोहा भी उनकी तरह सालों तक वह काम करते थे जिसका कोई मतलब नहीं था लेकिन हमारी कहानी के हीरो ने लोगों की नहीं सुनी। उसे उनसे कुछ फर्क नहीं पड़ा और वह बस अपना काम करते रहे और तब आर्मेनिया का सबसे बुरा समय चल रहा था।
पूरे देश में बार-बार लंबे-लंबे बिजली कट हो रहे थे । पर लेवोन ने फिर भी खुदाई नहीं रोकी। वह अपने घर से एक मोमबत्ती उठाकर अपनी दूसरी दुनिया में पहुंच जाते इस तरह से उनकी मेहनत को देखते हुए हम यह भी कह सकते हैं कि लेवोन में बिना रुके और बिना थके काम किया कुछ सालों का समय और बीता। और इतने सालों बाद लोगों को उनके काम की यह खूबसूरती नजर आने लगी। उन्होंने अपने घर के नीचे गुफाओं का पूरा चाल बना रखा था। उनकी पत्नी को तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उनके पति ऐसा कुछ बना सकते हैं। उन गुफाओं को देख कर ऐसा लगता था जैसे हमारे पूर्वजों द्वारा बनाए गए हो । उनकी पत्नी को उन पर बहुत गर्व हो रहा था। अब उसे देखकर कोई भी यह विश्वास नहीं कर पा रहा था कि यह सब एक गांव में रहने वाले बुजुर्गों द्वारा बनाया गया हो धरती के नीचे बने हुए कमरे इतिहासिक खूबसूरती लपेटे हुए थे। और उन्हें बहुत ध्यान से इतिहास को ध्यान में रखते हुए सजाया गया था। छोटी-छोटी बारीकियां कैसे उभरकर सामने आई यह तो आप भी समझ सकते हैं। सीढ़ियां हॉल बरामदे दीवारें इन्हें देखकर ऐसा लग ही नहीं रहा था कि इन्हें आज के समय में बनाया गया हो । जो भी इसे यहां देखने आता वह विश्वास कर ही नहीं पाता कि यह सब कुछ एक अकेले आदमी ने बनाया होगा। सभी लोग यही मानते थे जरूर लेवोन ने किसी की सहायता ली होगी या फिर इन्हें बनाने में जरूर बड़ी-बड़ी मशीनों का सहारा लिया गया होगा।
ऐसी बातों को सुनकर लेवोन यही कहते, कि हां उनको भगवान ने एक अलग ही शक्ति दे रखी है जिससे उन्होंने यह चमत्कार किया। वह दुनिया से कहते थे की जब वो सोने जाते थे उनके दिमाग में बस नए आइडिया वहीं आते और वह सुबह उठ कर उन्हे तराश देते । बिना किसी बाहरी सहायता के उन्हें पता था कि उन्हें अगला कमरा कैसे और कितना बड़ा बनाना है। इस पूरे तामझाम को बनाने के लिए लेवोन ने अपनी जिंदगी के पूरे 23 साल लगा दिए। और इस पूरे समय के बीच उनको हमेशा यही महसूस होता है कि वह कुछ अच्छा बना रहे हैं जो कि दुनिया को दिखाना बहुत जरूरी है । वह अपनी इस दुनिया से बहुत प्यार करते थे। वह इसका ध्यान अपनी जान से भी ज्यादा रखते थे। अब जरा इस बात को ध्यान से सुनिए वह अपने निर्णय के प्रति इतने पक्के थे उन्होंने पूरे सात मंजिला अंडरग्राउंड शहर बनाया। जी हां आपने सही सुना सात मंजिला और यह पूरे 23 मीटर गहरा था। पहली मंजिल को पार करने के लिए आपको 80 सीढ़ियां उतरकर जाना पड़ेगा। 23 साल के इस कामकाज में लेवोन ने पूरे 600 ट्रक मिट्टी और पत्थरों को अपने इस शहर से बाहर निकाला। वह बड़े-बड़े पत्थरों के कॉलम्स के डिजाइन तैयार करने में ही कई कई महीनों का समय लगा देते थे। बदकिस्मती से 2008 में उनकी मौत हो गई थी और उस समय उनकी उम्र मात्र सतासठ सालों की थी। अपने अंतिम दिनों में भी यही कहते थे कि अभी भी उनका यह शहर बनना बाकी है। उन्होंने अपनी जिंदगी के 23 साल इस पर लगा दिए। पर उनका मानना था कि अभी 30 सालों का समय इसे पूरा करने में और लगेगा। बेशक उनकी मौत हो चुकी थी लेकिन उनके बारे में अफवाहें फिर भी यही उड़ती रही और जैसे-जैसे यह अफवाह उड़ी, उनके इस काम को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आने लगे। सभी लोग इसे आर्मेनिया का एक चमत्कार ही मानते थे। बेशक आज उनकी पत्नी की उम्र बहुत ज्यादा हो चुकी है लेकिन आज भी जब लोग उनके पति द्वारा बनाए गए इस काम को देखने आते हैं तो वह खुद खड़े होकर सभी कोई शहर का दौरा करवाती है।
सभी को कोना कोना इस जगह का दिखाना बहुत पसंद करती है। जल्दी ही यह जगह इतनी फेमस हुई कि लेवोन की पत्नी ने इस जगह को दिखाने के लिए लोगों के ग्रुप बनाने शुरू कर दिए। और आज के समय में यही उनका मुख्य बिजनेस बन चुका है। उन्हें अपने पति द्वारा किए गए इस काम पर बहुत नाज है। इस पूरे शहर के एक कमरे में उनकी पत्नी ने उनका एक म्यूजियम भी बना रखा है जिसमें उन्होंने वह सारे हथौड़े और छैनी रखी है। जिनकी सहायता से यह पूरा स्ट्रक्चर तैयार किया गया था। इसके अलावा वहां पर लेवोन की कुछ फोटोस भी टंगी हुई है जिन्हें आप देख सकते हैं। यहां पर बहुत सारी मूवीस की शूटिंग भी हो चुकी है । आज के समय में तीन लाख से ज्यादा लोग दुनिया भर से इसे देखने आ चुके हैं। और आज के समय में ही उनकी पत्नी इसे लेवोंस डिवाइन अंडर ग्राउंड के नाम से बुलाना पसंद करती है। बेशक बहुत से लेवोन को पागल समझते थे लेकिन आज के समय में उनका यही पागलपन आर्मेनिया में घूमने का एक मुख्य स्थान बन चुका है। उनकी पत्नी बताती है कि जब वह और उनके मेहमान इसे देखने के लिए इसके अंदर जाते हैं तो पता नहीं क्यों पर घूमने आने वाले लोग यहां पर अपनी मन्नत मांगना शुरू कर देते हैं। शायद उनके पास ऐसे मन्नतें मांगने का कोई खास कारण मौजूद होगा। बदकिस्मती से आज लेवोन इस दुनिया में नहीं है लेकिन वहीं लाखो लोग आज भी जगह में खाश शक्ति मानते हैं ।
दोस्तों आप इस कहानी के बारे में क्या सोचते हैं क्यों लेवोन ने अपनी लगभग आधी जिंदगी एक अंडरग्राउंड शहर को बनाने में बिता दी। आप अपने विचार मुझे कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं।