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भारत के 7 सबसे शातिर जासूस

दोस्तों हम सबको जेम्स बॉन्ड,  मिशन इंपॉसिबल, वेवी जासूस जैसी फिल्में देखने का बहुत शौक होता है, लेकिन असल जिंदगी में जासूसों की जिंदगी इतनी आसान नहीं होती है। क्योंकि अपनी पहचान बदलकर दुश्मनों के बीच जाके रहना और वहां का सीक्रेट इंफॉर्मेशन अपने देश में पहुंचाना, बेहद जोखिम भरा काम होता है। और यह बहुत दुर्भाग्य की बात है कि देश के लिए अपनी जान गवाने वाले जासूसों के बारे में लोगों को पता भी नहीं चलता । यहां तक कि अपनी सरकार भी  उन्हें  अपने देश का नागरिक होने से इंकार कर देती है। फिर भी ये देशभक्त किसी भी बात के परवाह किए बिना अपने देश की सेवा करते रहते हैं। आज आपको भारत के ही कुछ ऐसे जाबांजो के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके बारे में  सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे । और आपका हाथ इन जवानों को सलूट करने के लिए अपने आप ही ऊपर उठ जाएगा। और दोस्तों एक बात बता दूं कि मैं आपसे किसी भी जासूस की सीक्रेट  कॉन्फिडेंसियल इंफॉर्मेशन शेयर नहीं कर रहा हूं वही इंफॉर्मेशन बता रहा हूं जो इंटरनेट पर बहुत ही आसानी से उपलब्ध है। 

7. सहमत खान

सहमत खान किसी लड़की का बदला हुआ नाम है जो कि भारतीय अंडरकवर एजेंट थी जिन्होंने सन् 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पाकिस्तान में जाकर जासूसी की थी। असल में सहमत कश्मीर में एक मुस्लिम अमीर परिवार की बेटी थी। लेकिन देश के लिए उन्होंने जासूसी जैसा जोखिम भरा काम चुना था। इस मिशन के लिए सहमत ने पाकिस्तान के एक बड़े आर्मी ऑफिसर से शादी की थी। ताकि वह आसानी से पाकिस्तान में घुस सके। यूं तो इस मिशन के दौरान सहमत ने भारत को पाकिस्तान की बहुत सी खुफिया जानकारी उपलब्ध कराई थी। लेकिन उनके द्वारा भेजी गई जानकारियों में सबसे अहम जानकारी पाकिस्तानी आर्मी द्वारा बनाया गया वह प्लान था जो  आई एन एस विराट को डुबोने के लिए बनाया गया था। सहमत कि इसी जानकारी के वजह से भारत ने पाकिस्तानी आर्मी के मंसूबे पर पानी फेर दिया था। और इससे हजारों लोगों की जान बच गई थी। इस मिशन को पूरा करके जब वह भारत लौटी तो वह गर्भवती हो गई थी। और  कुछ दिनों बाद सहमत ने  एक सुंदर बेटे को जन्म दिया जो कि आगे चलकर भारतीय सेना में भर्ती हुआ।  

सहमत खान के इस अद्भुत मिशन पर ही सन् 2018 में राजी नाम की एक फिल्म बनी थी जिसमें आलिया भट्ट ने अहमद खान का किरदार निभाया था हालांकि दुर्भाग्य से सन 2018 में ही सहमत खान की मृत्यु हो गई ।

6. रविन्द्र कौशिक

रविंद्र कौशिक जिन्हें पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के द्वारा द ब्लैक टाइगर का नाम दिया गया था । ये आज भी भारत के सबसे महान जासूसों में शुमार किए जाते हैं। राजस्थान के श्रीगंगानगर में जन्मे रविंद्र कौशिक शुरुआत से ही एक थिएटर आर्टिस्ट हुआ करते थे। और लखनऊ के एक थिएटर में एक्टिंग के दौरान ही रॉ के ऑफिसर की नजर उन पर पड़ी थी। उन्होंने रविंद्र के अभिनय से इतने प्रभावित हुए कि उसी समय रविंद्र को जासूस बनने का ऑफर तक दे दिया। रविंद्र ने भी तुरंत ही यह ऑफर स्वीकार कर लिया इसके बाद रॉ में उनकी ट्रेनिंग स्टार्ट हुई। और यह ट्रेनिंग 2 सालों तक चली जिसमें उन्होंने उर्दू इस्लामिक धर्म और पाकिस्तान के तौर तरीकों के बारे में सिखा। सन 1975 में मात्र 23 साल के रविंद्र अपने मिशन के लिए पाकिस्तान चले गए और भारत के अंदर उनकी सारी पुरानी पहचान नष्ट कर दी गई थी। और पाकिस्तान में उन्होंने नबी अहमद शाकिर के नाम से प्रवेश किया था। रविंद्र ने पाकिस्तान जाने के बाद कराची यूनिवर्सिटी से एलएलबी किया और एक पाकिस्तानी लड़की अमानत से शादी कर ली। पढ़ाई पूरी होने के बाद वह पाकिस्तानी आर्मी में शामिल हो गए और धीरे-धीरे मेजर के रैंक तक पहुंच गए। और इस दौरान पाकिस्तानी आर्मी की खुफिया जानकारी भारत को पहुंचाते रहे। जो कि भारत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण साबित हुई हालांकि सन 1985 में रॉ के ही दूसरे जासूस की गलती की वजह से रविंद्र का भेद खुल गया और वह पकड़े गए। फिर उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई सुनाई गई और सन 2001 में टीवी की बीमारी के कारण पाकिस्तानी जेल में ही उनकी मृत्यु हो गई। इस जांबाज व्यक्ति ने  जेल की सजा के दौरान कभी भी अपना मुंह नहीं खोला और पाकिस्तान को कोई भी जानकारी नहीं थी।

5. मोहन लाल भास्कर

मोहनलाल भास्कर इंडियन इंटेलिजेंस एजेंसी रॉ के वो जासूस थे जो कि पाकिस्तान के न्यूक्लियर प्रोग्राम का पर्दाफाश करने में सबसे अहम भूमिका निभाये थे। इस मुश्किल मिशन को अंजाम देने के लिए उन्होंने इस्लाम धर्म कबूल करके उन्होंने अपना नाम मोहम्मद असलम रख लिया था। ताकि पाकिस्तान में किसी को उन पर शक ना हो सन 1967 में वह अपने पहले मिशन पर निकले थे और इंफॉर्मेशन शेयर करने के लिए मोहनलाल भास्कर ने करीब 15 बार भारत-पाकिस्तान सीमा को पार किया था । लेकिन सन 1968 में उनके ही 1 साथी अमरीक के धोखा देने के कारण उनका भेद खुल गया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। दरअसल अमरीक सिंह एक डबल एजेंट था जो भारत के साथ-साथ पाकिस्तान के लिए भी जासूसी कर रहा था । हालांकि पकड़े जाने के 14 साल जेल में रहने के बाद सन 1974 में भारत-पाकिस्तान क़ैदी एक्सचेंज के तहत उन्हें रिहा  कर दिया गया ।

4. सरस्वती राजमणि

सरस्वती राजमणि वह महिला थी जो कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम  के साथ-साथ इंडियन इंटेलिजेंस यूनिट में भी एक अहम भूमिका निभाई थी । सरस्वती नेताजी सुभाष चंद्र बोस से बहुत ही ज्यादा प्रभावित थी इसीलिए मात्र 16 साल की उम्र में ही आजाद हिंद फौज को ज्वाइन कर ली थी। और इस फौज में उनके काम को देखते हुए उन्हें इंडियन इंटेलिजेंस यूनिट में भी शामिल कर लिया गया था। और वह हमारे देश की इंटेलिजेंस यूनिट का हिस्सा बनने वाली सबसे पहली महिला थी। सरस्वती जी लड़के का भेष धारण करके अंग्रेजों की खुफिया जानकारी हासिल करने का काम करते थी। एक बार सरस्वती जी के ही एक साथी को अंग्रेजों ने पकड़ लिया था तो उसे छुड़ाने के लिए उन्होंने डांसर का भेष धारण करके अंग्रेज सिपाहियों के बीच में घुस गई थी और उन्होंने बड़ी ही चालाकी से सभी अंग्रेजों को नशे में धुत करके अपने साथी को छुड़ा लाई थी। इस मिशन में भागते समय उनके टांग पर गोली भी लग गई थी लेकिन फिर भी वह मिशन में कामयाब रही। हालांकि दुर्भाग्य से 13 जनवरी सन 2018 को हार्ट अटैक के कारण उनकी मृत्यु हो गई।।

3. अजीत डोवाल

इस समय हमारे देश के लिए नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर के रूप में काम कर रहे अजीत डोभाल जी अपने समय के बेहतरीन जासूसों में शुमार किए जाते हैं। उनके जासूसी के किस्से इतने जबरदस्त हैं उन्हें भारत के जेम्स बांड भी कहा जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि अजीत डोभाल जी जासूस होने से पहले एक आईपीएस ऑफिसर थे। और उनके पास यह ऑप्शन था कि अगर वह चाहते तो एक आईपीएस ऑफिसर के रूप में भी भारत की सेवा कर सकते थे । लेकिन उन्होंने भारत के लिए जासूस बनने का निर्णय लिया और अपनी जान जोखिम में डालकर भारत की सेवा की। अजीत डोभाल 7 साल तक पाकिस्तान में एक मुस्लिम बन कर रहे और वहां से पाकिस्तान की खुफिया जानकारी भारत भेजते रहे । एक अंडरकवर एजेंट के रूप में अपना काम पूरा करने के बाद वह पाकिस्तान में ही इंडियन हाई कमिशनर बना दिए गए और 6 साल तक इसी पोस्ट पर काम करने के बाद वह भारत लौट आए। और उन्हें उनके इन्हीं वीरता भरे कार्यों और कारनामों के लिए उन्हें भारत का दूसरे सबसे बड़े शौर्य वीरता पुरस्कार कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है।।

2. कश्मीर सिंह

पंजाब के होशियारपुर के रहने वाले कश्मीर सिंह जासूस होने से पहले इंडियन मिलिट्री का हिस्सा हुआ करते थे और उनके फोटोग्राफी के शौक के वजह से ही उन्हें जासूस बनने के लिए ऑफर मिला था। और उन्होंने जासूसी को पार्ट टाइम जॉब के तरह शुरू किया था जिनके लिए ₹400 का महीना उनको मिलता था। दरअसल सिंह को पाकिस्तान बॉर्डर पर पाकिस्तान टुकड़ियों की संख्या के बारे में और उनके सैनिक टुकड़ियों की रणनीतिक स्थल की तस्वीर खींचने का काम सौंपा गया था।  वह साल 1969 में सबसे पहले मोहम्मद इब्राहिम के नाम से पाकिस्तान में घुसे थे। और अगले कई सालों तक भारत को पाकिस्तान की खुफिया जानकारी भेजते रहें। उनके द्वारा भेजी गई इंफॉर्मेशन सन 1971 के युद्ध में बहुत ही ज्यादा काम आई थी। लेकिन 1973 में एक-दूसरे इंडियन एजेंट के मुंह खोलने के वजह से उनका भेद खुल गया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। और आपको यह जानकर हैरानी होगी कि 35 साल तक को पाकिस्तान के जेल में रहे और उन्हें थर्ड डिग्री टॉर्चर दिया जाता था लेकिन इसने टॉर्चर शह  के भी वह अपना मुंह नहीं खोलें। और सन 2008 में उन्हें मानवीय आधार पर आजाद करके भारत में दिया गया।

1. रामेश्वर नाथ काव

रामेश्वर नाथ काओ एक ऐसे इंटेलिजेंस ऑफिसर थे जिन्हें सिर्फ भारत में ही नहीं पूरे दुनिया में एक अलग ही लेवल का जासूस माना जाता है। यूपी के वाराणसी से ताल्लुक रखने वाले काव ने अपने करियर की शुरुआत एक आईपीएस ऑफिसर के तौर पर की थी। लेकिन हमेशा से ही जासूसी में दिलचस्पी रखने के कारण ही उन्होंने सन 1969 में एक एजेंसी की स्थापना की जिसे आज हम सब रॉ के नाम से जानते है। और यही वजह है कि भारत में रोज ऐसी बेहतरीन खुफिया एजेंसी होने का श्रेय रामेश्वर नाथ काओ को दिया जाता है। वह एक ऐसे खुफिया इंसान थे जिनके निजी जिंदगी के बारे में आज तक किसी को कोई विशेष जानकारी नहीं है। हालांकि दुर्भाग्य से सन 2002 ईस्वी में 83 साल की उम्र में  उनका देहांत हो गया।।

ये थे हमारे देश के सात सबसे शातिर जासूस । दोस्तों आपको इन सातों में सबसे प्रभावित करने वाला जासूस कौन लगे। हमें कमेंट में जरूर बताएं।

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