सोचिए अगर मोबाइल फोन, इंटरनेट, कंप्यूटर या हवाई जहाज की खोज ना हुई होती तो हमारी जिंदगी कैसी होती। कुछ बेहतरीन आविष्कारों ने हमारी जिंदगी को पूरी तरीके से बदल दिया है। लेकिन कुछ ऐसे भी आविष्कार थे । जो हमारी दुनिया को पूरी तरीके से बदल सकते थे। लेकिन वह आविष्कार को हम लोगों से छुपाए गए या के लिए दवाएं गए आज हम ऐसे ही पांच आविष्कार के बारे में बात करेंगे जो हमारी जिंदगी को बदल सकते थे।
1. प्लाज्मा बैटरी
डीमिट्री पेट्रोनोव (Dimitri Petronov) ने प्लाज्मा बैटरी का आविष्कार किया था। और दावा किया था इस बैटरी को बिना चार्ज किए 3 साल तक चलाया और इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने इस बैटरी का इस्तेमाल करके अपना पूरा घर बिजली से प्रकाशित कर रखा था। इस आविष्कार से इलेक्ट्रिसिटी की समस्या पूरी दुनिया में हल हो जाती। वैसे तो डीमिट्री पेट्रोनोव के बारे में जानकारी काफी कम है। बर्लिन की बेस्ट इंजीनियरिंग कॉलेज से उन्होंने इंजीनियरिंग किया था। और उसके बाद उन्होंने 20 साल से ज्यादा एक एविएशन कम्पनी में जॉब किया था । लेकिन इस अविष्कार के बारे में पता लगते ही मिलिट्री लैब मॉस्को से उन्हें आविष्कार दिखाने के लिए निमंत्रण मिला। मिलिट्री को उनका आविष्कार पसंद आया और वह निवेश करने के लिए तैयार थे। लेकिन कुछ ऐसे भी शर्ते थी जिसे डीमिट्री खुश नहीं थे। इसके एक हफ्ते बाद डीमिट्री से एक वाडिमैन नाम के इंसान मिलने आया। उस मुलाकात के बाद डीमिट्री काफी चिंतित रहने लगे। और कुछ महीनों में वह गायब हो गए। जब उनकी बहन पुलिस में गुमशुदा होने की रिपोर्ट लिखवा कर वापस आयी तो पता चला उनके घर में दो मिलिट्री के आदमी घुसकर प्लाज्मा बैटरी लेकर चले गए। और 1 साल बाद रसिया के वोल्गा नदी के पास सड़ी हुई लाश मिली। जिसे डीमिट्री कि लाश बताई जाती है।
2. टॉम ओगल कार्बोरेटर
टॉम ओगल ने 1978 में एक ऐसा कार्बोरेटर बनाया जो ऑटोमोबाइल इंडस्ट्रीज का नसीब ही बदल देता। यह आविष्कार तब हुआ जब 19 साल के टॉम ने अपने लॉन मूवर के फ्यूल टैंक में गलती से छेद कर दिया। छेद को बंद करने की जगह पर टॉम ने उसे वैक्यूम लाइन की मदद से कार्बोरेटर में लगा दिया और इससे फ्यूल टैंक आधा भरा होने के बावजूद लॉन मूवर लगातार 96 घंटे तक चलते रहा। ये चीज को देखते हुए उन्होंने अगले कुछ सालों तक इसे अपनी कार पर एक्सपेरिमेंट किए। जिनमें उन को काफी सफलता भी मिली। उन्होंने फ्यूल पंप और कार्बोरेटर की जगह पर एक ब्लैक बॉक्स जिसे वह फिल्टर कहते थे उसको लगाया था। और इस फिल्टर की मदद से उन्होंने विशेषज्ञों और पत्रकारों के सामने दो गैलन फ्यूल से 200 मील की दूरी खत्म करके दिखाई थी। और एक ऐसे मशीन का आविष्कार किया जिसने इंधन की खपत ना के बराबर होती थी। लेकिन जब टॉम को इस प्रोजेक्ट के लिए निवेश मिलना शुरू हुआ तो अफवाहें फैला शुरू हुई इसका पैटर्न दूसरी और कंपनियों के पास भी मौजूद है। जिसमें से अमेरिका की जानी मानी कंपनी जनरल मोटर का नाम भी शामिल था। ये बातों को सामने आने के बाद उनके साथियों का बरताव उनके लिए बदल गया और सेल कंपनी भी इसने शुरुआत में ढाई करोड़ डालर का निवेश किया था । उन्होंने वह भी वापस ले लिया। इसके बाद वे डिप्रेश हो गए और उन्हें नशे की आदत हो गई। 1981 में उनको बाद में किसी ने गोली मार दी जिसमें उनकी मृत्यु हो गई। लेकिन जांच के बाद उनकी मृत्यु को आत्महत्या घोषित किया गया। टॉम के दोस्तों का कहना था कि वह आत्महत्या करने वालों में से नहीं थे। लेकिन टॉम के मृत्यु से जुड़े काफी अनसुलझे सवाल हैं। जैसे वह कंपनी जो दावा करती थी कि उनके पास इस अविष्कार के पेटेंट पहले से मौजूद हैं। वह टॉम की मृत्यु के बाद कभी सामने नहीं आए।
3. विट्रम फ्लैक्साइल
कांच के दो खास गुण होते हैं। पहला यह पारदर्शक होता है और दूसरा यह आसानी से टूट जाते हैं। हाल ही में किए गए रिसर्च की वजह से आज ऐसे काँच बनाए गए हैं। जो आसानी से नहीं टूटते और इनका प्रयोग मोबाइल और अन्य सामान में किया जाता है । पर अभी भी हम कभी न टूटने वाले कांच बनाने की तकनीक से कोसों दूर है। लेकिन अगर इतिहासकारों की बात माने या तकनीक हजार साल पहले ही हासिल कर ली गई थी। रोमन इतिहास में तीन बार ऐसे पदार्थ का जिक्र किया गया है इसे विट्रम फ्लैक्साइल नाम से जाना जाता है। इसके मुताबिक 14 से 37 वी सताब्दी में सम्राट टीवियर्स के साम्राज्य के दौरान अनजान व्यक्ति सम्राट के दरबार में एक कांच का घड़ा लेकर आया। उसने कहा कि ये कांच का घड़ा नहीं टूट सकता और इसे परखने के लिए उस कांच के घड़े को जमीन पर पटक कर देखा गया। जमीन पर गिरने के बाद भी वो घड़ा बिल्कुल नहीं टूटा पर वह मुड़ गया। जिसे उस व्यक्ति ने हथौड़े से पीटकर दोबारा ठीक कर दिया। यह सब देखकर सम्राट टीबेरियस हैरान थे। उन्होंने इस व्यक्ति से पूछा कि इस कांच के बनाने की विधि किस किसको पता है। जिस पर उसने जवाब दिया कि इसकी विधि सिर्फ उसे पता है । इतना सुनते ही सम्राट टीबेरियस ने सैनिकों को उसका सिर काटने का आदेश दे दिया है। सम्राट टीबेरियस ऐसा इसलिए किए क्योंकि वो इस बात से भयभीत थे इस तरह की चीज सोने और चांदी जैसी चीजों का मूल्य गिरा देंगे और उस व्यक्ति के साथ साथ कभी न टूटने वाले कांच की विधि विलुप्त हो गई ।
4. रोमन कॉन्क्रिट
प्राचीन रोमन सम्राट ने कई ऐसी इमारतें बनाई है जो समय को मात देते हुए आज भी खडी़ हैं। इनकी वास्तुकला के का अभिन्न अंग था कंक्रीट। ये कंक्रीट आज की कंक्रीट से काफी अलग है। जहां आज की कंक्रीट 50 साल या उससे थोड़ा ज्यादा चल सकते हैं। वहीं रोमन कंक्रीट हजारों साल चलने के लिए बने थे। जिसकी वजह से की इमारतें आज भी खड़ी है। माना जाता है रोमन काउंटिंग का खास तत्व था ज्वालामुखी का राख। जो दरारों को फैलने से रोकता है। लेकिन समय के साथ रोमन कंक्रीट बनाने का यह कला विलुप्त हो गया ।
5. मिथ्रीडेटियम
आज तक किसी सांप के काटे क्या जहर का इलाज किया जाता है जो पहले इस बात का पता लगाया जाता है कि मनुष्य किस जहर से प्रभावित है। इसमें समय लगता है और इस समय के दौरान जहर से प्राभावित मनुष्य की मृत्यु भी हो सकती है। अगर ऐसा हो सके कि सभी जहर का इलाज सिर्फ एक दवा से हो जाए तो लाखों जानें बचाई जा सकती हैं । माना जाता है की 120 से साठवीं सदी ईसा पूर्व में पॉन्ड्स के राजा मिथ्रीडेट्स ने ऐसी दवा ढूंढ निकाली थी जो किसी किस भी जहर को काट सकता था। राजा के चिकित्सकों ने इस दवाई को और भी बेहतर बनाया लेकिन समय के साथ यह दवा और इसके बनाने की विधि भी लुप्त हो गई। और इस दवा को बनाने का प्रयास कई लोगों ने किया है पर वो सारे इस प्रयास में विफल रहे हैं ।
6. रस्ट प्रूफ आयरन
दिल्ली में कुतुब कंपलेक्स में एक लोहे का खंभा खड़ा है । जो कि भारत का प्राचीन धातु विज्ञान का जीता जागता मिसाल है। एक खंभा पंद्रह सौ साल या उससे भी पुराना बताया जाता है। खुले में होने के बावजूद हजारों साल के मौसम के बदलाव को झेलने के बावजूद इस खंभे में जंग लगने का जरा भी लक्षण नहीं दिखता है इस खंभे की ऊंचाई 24 फुट है और यह 99.72% लोग से बना हुआ है और इस पर ऑक्साइड तथा सुरक्षा पर चढ़ा हुआ है जो इसे जगने से बचाता है यह प्राचीन भारत के आधुनिक विज्ञान का अद्भुत नमूना है जो समय के साथ लुप्त हो गया है और जिसकी बराबरी हम आज भी नहीं कर पा रहे हैं। क्योंकि आज भी ऐसे लोहे का निर्माण करने में असफल है जो पूरी तरह से जंग रोधक हो । माना जाता है कि ये लोहे का खंबा दिल्ली लाए जाने से पहले उदयगिरि में स्थापित था। जो की गुप्ता समराज के दौरान स्थापित किया गया था ।
तो दोस्तो बताए आपको कौन सा आविष्कार आपको बेहद पसंद आया। कॉमेंट करके हमे बताए ।।