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5 लुफ्त अविष्कार जो हमारी दुनिया बदल देती

विज्ञान ने मनुष्य का जीवन बदल दिया है।  वैज्ञानिकों द्वारा किए गए कई आविष्कारों ने हमारे जीवन को बहुत ही आसान बना दिया है।  लेकिन कई आविष्कार ऐसे भी हुए हैं जो हमारे जीवन में बहुत बड़ा बदलाव ला सकते थे। लेकिन कुछ कारणवश ये अविष्कार गुम हो गए। 

आज हम आपको ऐसे ही आविष्कारों के बारे में बताएंगे जो लुप्त हो चुके हैं। 

1. स्लूट डिजिटल कोडिंग सिस्टम 

दोस्तों जब आप स्मार्ट फोन खरीदते हैं तो आप एक चीज पर जरूर ध्यान देते हैं इसकी इंटरनल और एक्सटर्नल मेमोरी कितनी है। मेमोरी चाहे कितनी भी मिल जाए लेकिन आखिर में कम पड़ ही जाती है।  दोस्तों जरा सोचिए अगर आपके पास 2 जीबी इंटरनल मेमोरी वाला फोन हो और आपका फोन सिर्फ 2GB एक्सटर्नल मेमोरी सपोर्ट करता हो, लेकिन इसके बावजूद आप 128 GB वाले फोन से भी ज्यादा डाटा सेव कर पाए तो कैसा हो। जैन स्लुट (Romke Jan Bernhard Sloot) ने भी भी कुछ ऐसा ही आविष्कार किया था । जैन स्लुट एक डच इलेक्ट्रॉनिक टेक्नीशियन थे। उन्होंने ऐसी डाटा कंप्रेशन टेक्निक बनाई थी जिससे की पूरी हॉलीवुड मूवी सिर्फ 8 केवी में कंप्रेस की जा सकती थी। और उन्होंने इसे नाम दिया स्लूट डिजिटल कोडिंग सिस्टम। उन्होंने इस तकनीक का प्रदर्शन फिलिप्स  कंपनी के एक्जीक्यूटिव के सामने किया था, जिसमें उन्होंने सिर्फ 64 केवी के चिप से  8  फिल्में एक के बाद एक चला कर दिखाई। लेकिन इससे पहले जैम स्लूट इस तकनीक का सोर्स कोड फिलिप्स कंपनी को दे पाते, 11 जुलाई 1999 को बहुत ही रहस्यमय तरीके से उनकी मौत हो गई । जिस फ्लॉपी ड्राइव में उन्होंने इस फार्मूले का सोर्स कोड सेव किया था वह भी रहस्यमय तरीके से गायब हो गया। कई महीने बाद तक भी उस फ्लॉपी ड्राइव को ढूंढने पर भी नहीं मिली।

2. स्टार लाइट 

केमिस्ट मॉरिस बोर्ड ने 1970 और 80 के दशक के दौरान एक ऐसे पदार्थ का आविष्कार किया था। जो बहुत ही ऊंचे तापमान को झेल सकता था। इस पदार्थ का नाम उन्होंने स्टार लाइट रखा था। एक टीवी शो साइंस एंड टेक्नोलॉजी के दौरान उन्होंने इस पदार्थ का प्रदर्शन भी किया था।  कहा जाता है कि यह पदार्थ 10000 डिग्री से भी उच्चा तापमान सकता था। यहां तक कि न्यूक्लियर एक्सप्लोजन का तापमान भी ये आसानी से सह सकता था। एक एक्सपेरिमेंट में उन्होंने दर्शाया था  कि एक अंडे को स्टार लाइट से ढक दिया जाए और इसे आग में फेंक दिया जाए तो भी अंडा सुरक्षित रहेगा। नासा ने भी इस पदार्थ में दिलचस्पी दिखाई थी । लेकिन मॉरिस बोर्ड ने इसके निर्माण का तरीका कभी किसी को नहीं बताया और इस पदार्थ के निर्माण का तरीका उनकी मौत के साथ ही लुप्त हो गया।

3. डेथ रे 

निकोला टेस्ला अपने जमाने के महानतम वैज्ञानिकों में से एक थे। उनके आविष्कार अपने समय से कहीं आगे थे। उन्होंने कई आविष्कार ऐसे किए जो आज भी मानव जाति के काम आ रहे हैं। और उनके कई आविष्कार ऐसे थे जो उनके साथ ही लुफ्त हो गए या फिर दबा दिए गए। कहा जाता है कि 1930 में पार्टिकल बीम बेपन का आविष्कार किया गया था।  जिसे डेथ  रे के नाम से भी जाना जाता था। ये हथियार बड़े-बड़े एयरक्राफ्ट को मिलो दूर से ही मार गिराने में सक्षम था। यह हथियार इतना शक्तिशाली था कि ये जिस भी देश के पास हो वह युद्ध में कभी भी नहीं हारता। लेकिन कहा जाता है कि डेथ रे को निकोला टेस्ला कभी भी पूरा नहीं कर पाए । क्योंकि जो धनराशि इसके लिए चाहिए थी, वो उन्हें कभी भी नहीं मिल पाई । उस समय लोगों का मानना था,  कि इस तरह का हथियार बनाना संभव नहीं है।  इसलिए कोई भी कंपनी और कोई भी देश इस प्रोजेक्ट पर पैसे लगाने के लिए तैयार नहीं हुआ और यह अविष्कार टेस्ला की मौत के साथ ही लुप्त हो गया। 

4. क्रोनोवाइजर

कहा जाता है कि 1964 के दौरान फादर एर्नटी (Pellegrino Ernetti) ने एक ऐसी मशीन का निर्माण किया था जो भूतकाल की चीजे देख और सुन सकती थी। इस मशीन को क्रोनोवाइजर के नाम से भी जाना जाता है। फादर  एर्नटी के मुताबिक लुमिनियस एनर्जी और साउंड जब वस्तु से निकलती है तो वातावरण में रिकॉर्ड हो जाती है और क्रोनोवाइजर के इस्तेमाल से इस एनर्जी के द्वारा हम भूतकाल की चीजें देख और सुन सकते हैं। उनका कहना है कि इस मशीन की स्क्रीन से उन्होंने भूतकाल के कई क्षणों को देखा था जिसमें उन्होंने जीसस का क्रुश पे लटकना भी देखा था। अपने अंतिम क्षणों के दौरान फादर एर्नटी ने उन सब लोगों से मुलाकात की जिन्होंने इस मशीन को बनाने में उनकी मदद की थी और इस मुलाकात के बाद इस मशीन को नष्ट कर दिया गया ।

5. क्लाउड बस्टर

क्लाउड बस्टर एक ऐसा डिवाइस था जो बारिश पैदा कर सकता था।  इसका निर्माण एक ऑस्ट्रेलियन साइकोएनालिस्ट विलिहम रिक  (Wilhelm Reich) ने किया था। ये डिवाइस बारिश के प्रति वातावरण में मौजूद एक एनर्जी को मैनुपुलेट करता था । और इस एनर्जी को विलहम रिक ने आर्गोन एनर्जी का नाम दिया था। 1953 में 2 किसानों के कहने पर इस मशीन का प्रयोग किया गया था। सूत्रों के मुताबिक 6 जुलाई 1953 को विल्हम रिक ने सुबह के समय क्लाउड बस्टर का इस्तेमाल किया था और शाम तक बारिश शुरु हो गई।  1953 के बाद उन्होंने यह प्रयोग फिर कभी नहीं किया।  उस समय उनके आविष्कारों और क्लाउड बस्टर को गैरकानूनी करार दिया गया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।  और बाद में जेल में ही उनकी मौत हो गई कई लोगों का मानना है कि डॉ विलहम रीक के इस आविष्कार से किसानों को काफी मदद मिलती और अनाज की पैदावार भी बढ़ जाती।  लेकिन कई अमीर देश ऐसा नहीं चाहते थे।  क्योंकि अगर ऐसा हो जाता तो गरीब देशों से उनका नियंत्रण हट जाता और इसलिए उन्होंने विलहम रीक को कैद कर लिया और उनके आविष्कार को नष्ट कर दिया उनके आविष्कार के अवशेषों को अभी भी रेंगले माइन में देखा जा सकता है।

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10 ऐसे खोज जो गलती से हो गए

दोस्तों जो भी आविष्कार होते हैं उनके पीछे वैज्ञानिकों के कई सालों के शोध और मेहनत होती है। कोई भी आविष्कार आसानी से और तुरंत नहीं होता। लेकिन कई ऐसे बड़े आविष्कार भी हुए हैं जो अनजाने में हो गए आइए आपको भी बताते हैं कि कौन-कौन से हैं ऐसे आविष्कार जो अनजाने में और गलती से हुए। 

1. एक्स-रे 

क्या आप जानते हैं कि एक्स-रे का आविष्कार गलती से हुआ था।  नहीं जानते तो बता दें की सनकी भौतिक बैज्ञानिक के रूप में विख्यात विलहम रॉन्टजन (Wilhelm Röntgen) ने एक्स-रे का आविष्कार किया था। दरअसल विलहम कैथोरिक रेज ट्यूब बनाना चाह रहे थे। इसी दौरान जब लाइट चमक रही थी तभी उन्होंने देखा कि अपारदर्शी कवर के बावजूद नीचे रखा पेपर दिखाई दे रहा था। वे हैरत से इसे देखने लगे और इस प्रकार एक्स-रे का आविष्कार हो गया। 

2. माइक्रोवेव

माइक्रोवेव का आविष्कार पर्सी स्पेंसर (Percy Spencer)  ने गलती से किया था। वह नए वैक्यूम ट्यूब के जरिए रडार से जुड़े रिसर्च कर रहे थे।  इसके लिए उन्होंने कई मशीनें भी बनाई। जो की रिसर्च में मदद करती। ईसी के एक्सपेरिमेंट के दौरान उन्होंने देखा की उनकी जेब में रखा कैंडीबार पिघलने लगा। वे हैरान हो गए और उन्होंने बाद में कुछ पॉपकॉर्न्स को उस मशीन के अंदर डाला और पाया कि पॉपकॉर्न फूटने लगे और इस प्रकार माइक्रोवेव ओवन का आविष्कार हुआ।

3. पेस मेकर

पेस मेकर का आविष्कार भी गलती से हुआ।  बायोमेडिकल इंजीनियर जॉन हॉप्स रेडियो फ्रिकवेंसी के जरिए बॉडी टेंपरेचर को रिस्टोर करने के लिए एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे इस दौरान उन्हें एहसास हुआ कि अगर दिल ठंड के कारण धड़कना बंद कर दें। तो कृत्रिम उत्तेजना पैदा करने से तो फिर से धड़कना शुरू कर देता है।  इसी प्रयोग के चलते पेसमेकर अस्तित्व में आया। 

4. स्लिन्की

स्वीडन नौसेना में इंजीनियर रहे रिचर्ड जॉन्स ने 1943 में स्लिन्की का आविष्कार किया था। वे नौसैनिक युद्धपोत पर बिजली की निगरानी करने के लिए यंत्र बना रहे थे। जो कि स्प्रिंग के सहारे काम करता था।  इसी दौरान स्प्रिंग जमीन पर गिर गया और बाउंस करने लगा। इस तरह गलती से स्लिंकी का आविष्कार हुआ।

5. पेनिसिलिन

वैज्ञानिक अलेक्जेंडर फ्लैमिंग घाव को भरने वाली एक चमत्कारी दवा का आविष्कार करना चाह रहे थे लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल रही थी ऐसे में उन्होंने एक्सपेरिमेंट की गई चीजों को बाहर फेंक दिया।  कुछ दिन बाद जब उन्होंने नोटिस किया तो पाया कि वहां आसपास के बैक्टीरिया समाप्त हो रहे थे। इस तरह से पेनिसिलिन का आविष्कार हुआ। 

6. कोका कोला 

सिरदर्द के इलाज के लिए दवा बनाने के लिए एक फार्मासिस्ट ने कोला नाट और कोला की पत्तियों का इस्तेमाल किया इसके बाद उसने संयोगवश दोनों को कार्बोनेटेड वॉटर के साथ मिला दिया  बाद में जब उसने टेस्ट किया तो रिजल्ट कोका कोला के रूप में सामने आया। कोला के कारण इसका नाम कोका कोला हो गया। इस तरह से एक सिर दर्द की दवा एक मशहूर ड्रिंक में बदल गई और पूरी दुनिया पर छा गई।

7. टेफलॉन

टेफलॉन का आविष्कार 1938 में साइंटिस्ट रॉय फ्लैंकिट ने किया था। दरअसल रॉय रेफ्रिजरेटर के विकल्प की तलाश कर रहे थे।  इसके लिए उन्होंने कुछ सैंपल्स को टाइट बॉक्स में रखा था।  कुछ दिन बाद उन्होंने देखा कि बॉक्स के अंदर रखी गई गैस गायब हो गई है।  और उसकी जगह फिसलन दार रेसिन के अवशेष बचे हुए हैं।  इस अवशेष में हिट और केमिकल्स के प्रतिरोधक क्षमता थी। बाद में नॉन स्टिक कुकवेयर, स्पोर्ट्स इक्विपमेंट्स और पेंट के रूप में इसका यूज होने लगा।

8. वायग्रा 

फाइजर ने दर्द से छुटकारा दिलाने के लिए हमारे शरीर में रक्त संचार करने वाली धमनियों को सिकुड़ने में मदद करने के लिए UK 92480 के नाम से एक दवा बनाई थी।  लेकिन यह दवा दर्द से राहत देने में तो असफल रही लेकिन पुरुषों की यौन शक्ति बढ़ाने में बहुत ही कारगर साबित हुई। इसे व्हायग्रा के नाम से बाजार में उतारा गया।

9. वेलक्रो

एक ट्रिप के दौरान स्विस इंजीनियर जॉर्ज डी मस्टर्ल (George de Mestral) ने अपनी पेंट से कुछ बीजों को चिपके देखा । उन्होंने पाया कि ये किसी भी लूब्स की आकार वाली वस्तु से चिपक जाते हैं ऐसे में उन्होंने कृत्रिम लुब्स तैयार किए और परिणाम स्वरूप वेलवेट और क्रॉचेट के कॉम्बिनेशन से वेल्क्रो बन गया।

10. पोटैटो चिप्स 

1853 में जॉर्ज क्रम नाम के सेफ अपने कस्टमर के लिए फ्रेंच फ्राइस तैयार कर रहे थे। कस्टमर ने उनसे कहा की फ्रेंच फ्राइस थोड़ी पतली और कुरकुरी होनी चाहिए। जॉर्ज ने ऐसा ही किया और इस तरह से पोटैटो चिप्स बन गई।।

तो दोस्तो कैसा लगा ये ब्लॉग।। वैसे कौन सा अविष्कार आपको सबसे अच्छा लगा। कॉमेंट करके जरूर बताएं।।

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6 विलुप्त अविष्कार जो हमारी दुनिया बदल देती

सोचिए अगर मोबाइल फोन, इंटरनेट, कंप्यूटर या हवाई जहाज की खोज ना हुई होती तो हमारी जिंदगी कैसी होती।  कुछ बेहतरीन आविष्कारों ने हमारी जिंदगी को पूरी तरीके से बदल दिया है। लेकिन कुछ ऐसे भी आविष्कार थे । जो हमारी दुनिया को पूरी तरीके से बदल सकते थे। लेकिन वह आविष्कार को हम लोगों से छुपाए गए या के लिए दवाएं गए आज हम ऐसे ही पांच आविष्कार के बारे में बात करेंगे जो हमारी जिंदगी को बदल सकते थे।

1. प्लाज्मा बैटरी

डीमिट्री पेट्रोनोव (Dimitri Petronov) ने प्लाज्मा बैटरी का आविष्कार किया था। और दावा किया था इस बैटरी को बिना चार्ज किए 3 साल तक चलाया और इस्तेमाल किया जा सकता है।  उन्होंने इस बैटरी का इस्तेमाल करके अपना पूरा घर बिजली से प्रकाशित कर रखा था।  इस आविष्कार से इलेक्ट्रिसिटी की समस्या पूरी दुनिया में हल हो जाती। वैसे तो डीमिट्री पेट्रोनोव के बारे में जानकारी काफी कम है। बर्लिन की बेस्ट इंजीनियरिंग कॉलेज से उन्होंने इंजीनियरिंग किया था। और उसके बाद उन्होंने 20 साल से ज्यादा एक एविएशन कम्पनी में जॉब किया था । लेकिन इस अविष्कार के बारे में पता लगते ही मिलिट्री लैब मॉस्को से उन्हें आविष्कार दिखाने के लिए निमंत्रण मिला।  मिलिट्री को उनका आविष्कार पसंद आया और वह निवेश करने के लिए तैयार थे। लेकिन कुछ ऐसे भी शर्ते थी जिसे डीमिट्री खुश नहीं थे। इसके एक हफ्ते बाद डीमिट्री से एक वाडिमैन नाम के इंसान मिलने आया। उस मुलाकात के बाद डीमिट्री काफी चिंतित रहने लगे। और कुछ महीनों में वह गायब हो गए।  जब उनकी बहन पुलिस में गुमशुदा होने की रिपोर्ट लिखवा कर वापस आयी तो पता चला उनके घर में दो मिलिट्री के आदमी घुसकर प्लाज्मा बैटरी लेकर चले गए। और 1 साल बाद रसिया के वोल्गा नदी के पास सड़ी हुई लाश मिली। जिसे डीमिट्री कि लाश बताई जाती है।

2. टॉम ओगल कार्बोरेटर

टॉम ओगल ने 1978 में एक ऐसा कार्बोरेटर बनाया जो ऑटोमोबाइल इंडस्ट्रीज का नसीब ही बदल देता। यह आविष्कार तब हुआ जब 19 साल के टॉम ने अपने लॉन मूवर के  फ्यूल टैंक में गलती से छेद कर दिया। छेद को बंद करने की जगह पर टॉम ने उसे वैक्यूम लाइन की मदद से कार्बोरेटर में लगा दिया और इससे फ्यूल टैंक आधा भरा होने के बावजूद लॉन मूवर लगातार 96 घंटे तक चलते रहा। ये चीज को देखते हुए उन्होंने अगले कुछ सालों तक इसे अपनी कार पर एक्सपेरिमेंट किए। जिनमें उन को काफी सफलता भी मिली। उन्होंने फ्यूल पंप और कार्बोरेटर की जगह पर एक ब्लैक बॉक्स जिसे वह फिल्टर कहते थे उसको लगाया था। और इस फिल्टर की मदद से उन्होंने विशेषज्ञों और पत्रकारों के सामने  दो गैलन फ्यूल से 200 मील की दूरी खत्म करके दिखाई थी। और एक ऐसे मशीन का आविष्कार किया जिसने इंधन की खपत ना के बराबर होती थी। लेकिन जब टॉम को इस प्रोजेक्ट के लिए निवेश मिलना शुरू हुआ तो अफवाहें फैला शुरू हुई इसका पैटर्न दूसरी और कंपनियों के पास भी मौजूद है। जिसमें से अमेरिका की जानी मानी कंपनी जनरल मोटर का नाम भी शामिल था। ये बातों को सामने आने के बाद उनके साथियों का बरताव उनके लिए बदल गया और सेल कंपनी भी इसने शुरुआत में ढाई करोड़ डालर का निवेश किया था । उन्होंने वह भी वापस ले लिया। इसके बाद वे डिप्रेश हो गए और उन्हें नशे की आदत हो गई। 1981 में उनको बाद में किसी ने गोली मार दी जिसमें उनकी मृत्यु हो गई। लेकिन जांच के बाद उनकी मृत्यु को आत्महत्या घोषित किया गया।  टॉम के दोस्तों का कहना था कि वह आत्महत्या करने वालों में से नहीं थे।  लेकिन टॉम के मृत्यु से जुड़े काफी अनसुलझे सवाल हैं।  जैसे वह कंपनी जो दावा करती थी कि उनके पास इस अविष्कार के पेटेंट पहले से मौजूद हैं।  वह टॉम की मृत्यु के बाद कभी सामने नहीं आए।

3. विट्रम फ्लैक्साइल

कांच के दो खास गुण होते हैं। पहला यह पारदर्शक होता है और दूसरा यह आसानी से टूट जाते हैं। हाल ही में किए गए रिसर्च की वजह से आज ऐसे काँच बनाए गए हैं। जो आसानी से नहीं टूटते और इनका प्रयोग मोबाइल और अन्य सामान में किया जाता है । पर अभी भी हम कभी न टूटने वाले कांच बनाने की तकनीक से कोसों दूर है। लेकिन अगर इतिहासकारों की बात माने या तकनीक हजार साल पहले ही हासिल कर ली गई थी।  रोमन इतिहास में तीन बार ऐसे पदार्थ का जिक्र किया गया है इसे विट्रम फ्लैक्साइल नाम से जाना जाता है। इसके मुताबिक 14 से 37 वी सताब्दी में सम्राट टीवियर्स के साम्राज्य के दौरान अनजान व्यक्ति सम्राट के दरबार में एक कांच का घड़ा लेकर आया। उसने कहा कि ये कांच का घड़ा नहीं टूट सकता और इसे परखने के लिए उस कांच के घड़े को जमीन पर पटक कर देखा गया। जमीन पर गिरने के बाद भी वो घड़ा बिल्कुल नहीं टूटा पर वह मुड़ गया। जिसे उस व्यक्ति ने हथौड़े से पीटकर दोबारा ठीक कर दिया। यह सब देखकर सम्राट टीबेरियस हैरान थे। उन्होंने इस व्यक्ति से पूछा कि इस कांच के बनाने की विधि किस किसको पता है।  जिस पर उसने जवाब दिया कि इसकी विधि सिर्फ उसे पता है । इतना सुनते ही सम्राट टीबेरियस ने सैनिकों को उसका सिर काटने का आदेश दे दिया है। सम्राट टीबेरियस ऐसा इसलिए किए क्योंकि  वो इस बात से भयभीत थे इस तरह की चीज सोने और चांदी जैसी चीजों का मूल्य गिरा देंगे और उस व्यक्ति के साथ साथ कभी न टूटने वाले कांच की विधि विलुप्त हो गई । 

4. रोमन कॉन्क्रिट

प्राचीन रोमन सम्राट ने कई ऐसी इमारतें बनाई है जो समय को मात देते हुए आज भी खडी़ हैं। इनकी वास्तुकला के का अभिन्न अंग था कंक्रीट। ये कंक्रीट आज की कंक्रीट से काफी अलग है।  जहां आज की कंक्रीट 50 साल या उससे थोड़ा ज्यादा चल सकते हैं। वहीं रोमन कंक्रीट हजारों साल चलने के लिए बने थे। जिसकी वजह से की इमारतें आज भी खड़ी है। माना जाता है रोमन काउंटिंग का खास तत्व था ज्वालामुखी का राख। जो दरारों को फैलने से रोकता है। लेकिन समय के साथ रोमन कंक्रीट बनाने का यह कला विलुप्त हो गया ।

5. मिथ्रीडेटियम

आज तक किसी सांप के काटे क्या जहर का इलाज किया जाता है जो पहले इस बात का पता लगाया जाता है कि मनुष्य किस जहर से प्रभावित है। इसमें समय लगता है और इस समय के दौरान जहर से प्राभावित मनुष्य की मृत्यु भी हो सकती है। अगर ऐसा हो सके कि सभी जहर का इलाज सिर्फ एक दवा से हो जाए तो लाखों जानें बचाई जा सकती हैं । माना जाता है की  120 से  साठवीं सदी ईसा पूर्व में पॉन्ड्स के राजा मिथ्रीडेट्स ने ऐसी दवा ढूंढ निकाली थी जो किसी किस भी जहर को काट सकता था। राजा के चिकित्सकों ने इस दवाई को और भी बेहतर बनाया लेकिन समय के साथ यह दवा और इसके बनाने की विधि भी लुप्त हो गई। और इस दवा को बनाने का प्रयास कई लोगों ने किया है पर वो सारे इस प्रयास में विफल रहे हैं ।

6. रस्ट प्रूफ आयरन 

दिल्ली में कुतुब कंपलेक्स में एक लोहे का खंभा खड़ा है । जो कि भारत का प्राचीन धातु विज्ञान का जीता जागता मिसाल है। एक खंभा पंद्रह सौ साल या उससे भी पुराना बताया जाता है। खुले में होने के बावजूद हजारों साल के मौसम के बदलाव को झेलने के बावजूद इस खंभे में जंग लगने का जरा भी लक्षण नहीं दिखता है इस खंभे की ऊंचाई 24 फुट है और यह 99.72% लोग से बना हुआ है और इस पर ऑक्साइड तथा सुरक्षा पर चढ़ा हुआ है जो इसे जगने से बचाता है यह प्राचीन भारत के आधुनिक विज्ञान का अद्भुत नमूना है जो समय के साथ लुप्त हो गया है और जिसकी बराबरी हम आज भी नहीं कर पा रहे हैं।  क्योंकि आज भी ऐसे लोहे का निर्माण करने में असफल है जो पूरी तरह से जंग रोधक हो । माना जाता है कि ये लोहे का खंबा दिल्ली लाए जाने से पहले उदयगिरि में स्थापित था। जो की  गुप्ता समराज के दौरान स्थापित किया गया था । 

तो दोस्तो बताए आपको कौन सा आविष्कार आपको बेहद पसंद आया। कॉमेंट करके हमे बताए ।।