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5 लुफ्त अविष्कार जो हमारी दुनिया बदल देती

विज्ञान ने मनुष्य का जीवन बदल दिया है।  वैज्ञानिकों द्वारा किए गए कई आविष्कारों ने हमारे जीवन को बहुत ही आसान बना दिया है।  लेकिन कई आविष्कार ऐसे भी हुए हैं जो हमारे जीवन में बहुत बड़ा बदलाव ला सकते थे। लेकिन कुछ कारणवश ये अविष्कार गुम हो गए। 

आज हम आपको ऐसे ही आविष्कारों के बारे में बताएंगे जो लुप्त हो चुके हैं। 

1. स्लूट डिजिटल कोडिंग सिस्टम 

दोस्तों जब आप स्मार्ट फोन खरीदते हैं तो आप एक चीज पर जरूर ध्यान देते हैं इसकी इंटरनल और एक्सटर्नल मेमोरी कितनी है। मेमोरी चाहे कितनी भी मिल जाए लेकिन आखिर में कम पड़ ही जाती है।  दोस्तों जरा सोचिए अगर आपके पास 2 जीबी इंटरनल मेमोरी वाला फोन हो और आपका फोन सिर्फ 2GB एक्सटर्नल मेमोरी सपोर्ट करता हो, लेकिन इसके बावजूद आप 128 GB वाले फोन से भी ज्यादा डाटा सेव कर पाए तो कैसा हो। जैन स्लुट (Romke Jan Bernhard Sloot) ने भी भी कुछ ऐसा ही आविष्कार किया था । जैन स्लुट एक डच इलेक्ट्रॉनिक टेक्नीशियन थे। उन्होंने ऐसी डाटा कंप्रेशन टेक्निक बनाई थी जिससे की पूरी हॉलीवुड मूवी सिर्फ 8 केवी में कंप्रेस की जा सकती थी। और उन्होंने इसे नाम दिया स्लूट डिजिटल कोडिंग सिस्टम। उन्होंने इस तकनीक का प्रदर्शन फिलिप्स  कंपनी के एक्जीक्यूटिव के सामने किया था, जिसमें उन्होंने सिर्फ 64 केवी के चिप से  8  फिल्में एक के बाद एक चला कर दिखाई। लेकिन इससे पहले जैम स्लूट इस तकनीक का सोर्स कोड फिलिप्स कंपनी को दे पाते, 11 जुलाई 1999 को बहुत ही रहस्यमय तरीके से उनकी मौत हो गई । जिस फ्लॉपी ड्राइव में उन्होंने इस फार्मूले का सोर्स कोड सेव किया था वह भी रहस्यमय तरीके से गायब हो गया। कई महीने बाद तक भी उस फ्लॉपी ड्राइव को ढूंढने पर भी नहीं मिली।

2. स्टार लाइट 

केमिस्ट मॉरिस बोर्ड ने 1970 और 80 के दशक के दौरान एक ऐसे पदार्थ का आविष्कार किया था। जो बहुत ही ऊंचे तापमान को झेल सकता था। इस पदार्थ का नाम उन्होंने स्टार लाइट रखा था। एक टीवी शो साइंस एंड टेक्नोलॉजी के दौरान उन्होंने इस पदार्थ का प्रदर्शन भी किया था।  कहा जाता है कि यह पदार्थ 10000 डिग्री से भी उच्चा तापमान सकता था। यहां तक कि न्यूक्लियर एक्सप्लोजन का तापमान भी ये आसानी से सह सकता था। एक एक्सपेरिमेंट में उन्होंने दर्शाया था  कि एक अंडे को स्टार लाइट से ढक दिया जाए और इसे आग में फेंक दिया जाए तो भी अंडा सुरक्षित रहेगा। नासा ने भी इस पदार्थ में दिलचस्पी दिखाई थी । लेकिन मॉरिस बोर्ड ने इसके निर्माण का तरीका कभी किसी को नहीं बताया और इस पदार्थ के निर्माण का तरीका उनकी मौत के साथ ही लुप्त हो गया।

3. डेथ रे 

निकोला टेस्ला अपने जमाने के महानतम वैज्ञानिकों में से एक थे। उनके आविष्कार अपने समय से कहीं आगे थे। उन्होंने कई आविष्कार ऐसे किए जो आज भी मानव जाति के काम आ रहे हैं। और उनके कई आविष्कार ऐसे थे जो उनके साथ ही लुफ्त हो गए या फिर दबा दिए गए। कहा जाता है कि 1930 में पार्टिकल बीम बेपन का आविष्कार किया गया था।  जिसे डेथ  रे के नाम से भी जाना जाता था। ये हथियार बड़े-बड़े एयरक्राफ्ट को मिलो दूर से ही मार गिराने में सक्षम था। यह हथियार इतना शक्तिशाली था कि ये जिस भी देश के पास हो वह युद्ध में कभी भी नहीं हारता। लेकिन कहा जाता है कि डेथ रे को निकोला टेस्ला कभी भी पूरा नहीं कर पाए । क्योंकि जो धनराशि इसके लिए चाहिए थी, वो उन्हें कभी भी नहीं मिल पाई । उस समय लोगों का मानना था,  कि इस तरह का हथियार बनाना संभव नहीं है।  इसलिए कोई भी कंपनी और कोई भी देश इस प्रोजेक्ट पर पैसे लगाने के लिए तैयार नहीं हुआ और यह अविष्कार टेस्ला की मौत के साथ ही लुप्त हो गया। 

4. क्रोनोवाइजर

कहा जाता है कि 1964 के दौरान फादर एर्नटी (Pellegrino Ernetti) ने एक ऐसी मशीन का निर्माण किया था जो भूतकाल की चीजे देख और सुन सकती थी। इस मशीन को क्रोनोवाइजर के नाम से भी जाना जाता है। फादर  एर्नटी के मुताबिक लुमिनियस एनर्जी और साउंड जब वस्तु से निकलती है तो वातावरण में रिकॉर्ड हो जाती है और क्रोनोवाइजर के इस्तेमाल से इस एनर्जी के द्वारा हम भूतकाल की चीजें देख और सुन सकते हैं। उनका कहना है कि इस मशीन की स्क्रीन से उन्होंने भूतकाल के कई क्षणों को देखा था जिसमें उन्होंने जीसस का क्रुश पे लटकना भी देखा था। अपने अंतिम क्षणों के दौरान फादर एर्नटी ने उन सब लोगों से मुलाकात की जिन्होंने इस मशीन को बनाने में उनकी मदद की थी और इस मुलाकात के बाद इस मशीन को नष्ट कर दिया गया ।

5. क्लाउड बस्टर

क्लाउड बस्टर एक ऐसा डिवाइस था जो बारिश पैदा कर सकता था।  इसका निर्माण एक ऑस्ट्रेलियन साइकोएनालिस्ट विलिहम रिक  (Wilhelm Reich) ने किया था। ये डिवाइस बारिश के प्रति वातावरण में मौजूद एक एनर्जी को मैनुपुलेट करता था । और इस एनर्जी को विलहम रिक ने आर्गोन एनर्जी का नाम दिया था। 1953 में 2 किसानों के कहने पर इस मशीन का प्रयोग किया गया था। सूत्रों के मुताबिक 6 जुलाई 1953 को विल्हम रिक ने सुबह के समय क्लाउड बस्टर का इस्तेमाल किया था और शाम तक बारिश शुरु हो गई।  1953 के बाद उन्होंने यह प्रयोग फिर कभी नहीं किया।  उस समय उनके आविष्कारों और क्लाउड बस्टर को गैरकानूनी करार दिया गया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।  और बाद में जेल में ही उनकी मौत हो गई कई लोगों का मानना है कि डॉ विलहम रीक के इस आविष्कार से किसानों को काफी मदद मिलती और अनाज की पैदावार भी बढ़ जाती।  लेकिन कई अमीर देश ऐसा नहीं चाहते थे।  क्योंकि अगर ऐसा हो जाता तो गरीब देशों से उनका नियंत्रण हट जाता और इसलिए उन्होंने विलहम रीक को कैद कर लिया और उनके आविष्कार को नष्ट कर दिया उनके आविष्कार के अवशेषों को अभी भी रेंगले माइन में देखा जा सकता है।

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